sidh kunjika - An Overview
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दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
हुं हुं हुङ्काररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी ।
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥ ४ ॥
देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी ।
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥ ३ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।